सपा ज़िला उपाध्यक्ष बने काज़ी शाहनवाज ।
कितनी दुश्वारियां थीं राहों में
फिर भी तुम ही रहे निगाहों में।
किसी शायर की ग़ज़ल के ये दो मिसरे समाजवादी पार्टी के ज़मीनी और वरिष्ठ नेता काज़ी शाहनवाज पर खरी उतरती हैं। पार्टी के स्थापना काल में सपा का दामन थामने वाले नेताओं में शुमार इस सादा लौह इंसान ने 1991 में पार्टी का दामन बड़ी मजबूती से थामा और बिसौली ब्लाक अध्यक्ष मनोनीत हुए पार्टी ने उनकी कार्य कुशलता और समर्पण को देखते हुए 2011 में उन्हें नगर अध्यक्ष घोषित किया । इतने लंबे समय तक पार्टी से हर अच्छे बुरे दौर में जुड़े रहे इस व्यक्तित्व ने राजनीत के कई उतार चढ़ाव देखे । मगर पार्टी का दामन नहीं छोड़ा।
उनकी पार्टी के प्रति लगन निष्ठा और समर्पण भावना को देखते पार्टी ने उनके लिए कुछ अच्छा सोचा लेकिन वे चूके गए और जल्दबाजी में पार्टी के अगले क़दम का इन्तजार न कर सके । क्योकि पिछले एक दशक से ज्यादा समय तक नगर अध्यक्ष रहने के बाद उनका प्रमोशन होना था और इसी कड़ी में अब्दुल बासित खान उर्फ नवाब भाई को नगर अध्यक्ष बना दिया गया। बात को समझे बिना विरोध की आवाज़ भी उठी।
सपा की ज़िला कमेटी तक इस आवाज़ की गूंज पहुंची और जल्दी ही पार्टी ने आज अपनी मंशा ज़ाहिर करते हुए पुनः विश्वास जताते हुए उन्हें ज़िला कार्यकारिणी में उप अध्यक्ष के पद पर मनोनीत किया है।
खबर मिलते ही उनके समर्थकों में खुशी का माहौल बना हुआ है ।
खुशी से मुड़ के खुशी की तरफ नहीं देखा
तुम्हारे बाद किसी की तरफ नहीं देखा
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